लेखनी कहानी -11-Sep-2022 : पत्थर दिल सनम
मुक्तक : पत्थर दिल सनम
एक संग दिल से आंखें लड़ा बैठे
जैसे किसी पत्थर से हम टकरा बैठे
उसकी नजरे इनायत की ख्वाहिश में
इस दिल का कारवां जबरन लुटा बैठे
पत्थर दिल सनम मुहब्बत क्या जाने
कैसे सुनाएं उन्हें इश्क के वो अफसाने
पास आने की करते हैं जितनी कोशिशें
उतने ही जानते हैं वो टरकाने के बहाने
हुस्न का गरूर उन पर इस कदर चढा है
सैकड़ों का दिल उनके कदमों पे पड़ा है
देखते हैं कि कब तक नहीं पिघलेगा हुस्न
हमारे जैसे आशिकों से पाला कहां पड़ा है
चेहरे का नूर हम आंखों से पीकर जाएंगे
रेशमी जुल्फों में दिल की दुनिया सजाएंगे
तेरा दिल लाख पत्थर का हो, ए हुस्न वाले
अपनी मुहब्बत से इसे पिघला कर जाएंगे
होठों पे इंकार मगर दिल में प्यार रखते हैं
दिल आशना है फिर भी तकरार करते हैं
हमने भी बहुत देखे हैं ऐसे पत्थर दिल सनम
जो आंखों से हाल ए दिल का इजहार करते हैं
श्री हरि
11.9.22
Shashank मणि Yadava 'सनम'
12-Sep-2022 06:04 AM
Wahhh अद्भुत
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Raziya bano
11-Sep-2022 07:28 PM
Bahut khub
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Swati chourasia
11-Sep-2022 07:14 PM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
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